गाँव की Xxx चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं बारिश वाली रात में एक लड़की के घर पहुंचा, उससे सेटिंग के बाद हमने कैसे ओरल सेक्स का मजा लिया, फिर चुदाई की.
अब आगे Gaon Ki Xxx Chudai Kahani:
अब मैंने जैसे ही नीता की गांड के छेद पर अपनी जीभ फिराई तो नीता एकदम से मचल उठी.
वो अपने हाथों से मेरा सर जोर दबाने लगी और बोली- ओह हर्षद, कितने गंदे हो तुम … कहां कहां भी जीभ डालते हो, मुझे गुदगुदी हो रही है.
मैं उसकी कुछ भी सुने बिना अपनी जीभ से नीचे से ऊपर तक चाटने लगा.
नीता काफी उत्तेजित हो उठी थी और तेज स्वर में मादक सिसकारियां लेकर मेरा सर सहलाने लगी- आह ऊंई ऊंई स्ह स्ह हर्षद बस करो ना अब नहीं सहा जाता. आज पहली बार मैं ये सब अनुभव कर रही हूँ हर्षद … तुम कमाल के मर्द हो.’
मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख कर अपनी जीभ उसकी छोटी सी चूत में डालने लगा.
नीता एकदम से अकड़ उठी और फिर से तेज तेज आवाजों में सिसकारियां लेते हुए मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी.
उसकी टांगें पूरी तरह से फ़ैल गई थीं और मुझे अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर तक चलाने में आसानी होने लगी थी.
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मैं अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में डालकर जीभ से चूत की दीवारें सहलाने लगा.
उसकी चूत अन्दर से किसी गर्म भट्टी जैसी तप रही थी.
नीता आज पहली बार चूत चुसाई का अनुभव कर रही थी.
वो अधिक देर तक सह ना सकी और उसने मेरा सर अपनी जांघों में लगभग जकड़ लिया था.
उसका शरीर धनुष सा ऐंठने लगा था.
वो जोर जोर से मादक सिसकारियां लेती हुई झड़ने लगी थी.
उसका गर्म चूत रस बहने लगा था.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल दी और अपने होंठ उसकी चूत के मुँह पर लगाकर उसका योनिरस पीने लगा.
बहुत ही स्वादिष्ट खट्टा मीठा टेस्टी रस था.
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पूरा चूत रस पी लेने के बाद मैंने अपनी जीभ नीता के मुँह में डालकर उससे पूछा- लो चखो मेरी जान और बताओ कैसा है तुम्हारी चूत के अमृत का स्वाद?
नीता मेरी जीभ चूसकर बोली- बहुत ही स्वाद भरा और खट्टा स्वाद है. बहुत मजा आया हर्षद … आज पहली बार मेरी चूत को तुमने चूसकर इसका पानी निकाला है. मैंने ये अनुभव आज पहली बार महसूस किया हर्षद.
ये कहकर नीता बार बार मेरे मुँह को चूमने लगी.
जब नीता मुझे चूम रही थी तब मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था और लंड के नीचे लटक रही मेरी दोनों अंडगोटियां उसकी गांड के छेद पर रगड़ रही थीं.
अब नीता फिर से गर्म होने लगी थी.
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मैं उसकी चूचियां रगड़ने लगा तो नीता अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ती हुई बोली- अब नहीं रहा जाता हर्षद … तुम जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दो.
मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी और मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था.
मेरा लंड तनकर लोहे जैसा हो गया था.
मैंने खड़े होकर नीता की दोनों टांगें दोनों तरफ फैलाकर अपने लंड का चिकना सुपारा नीता की चूत की फांकों में रगड़ने लगा.
नीता कसमसाने लगी.
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांकों को दोनों तरफ फैला दिया.
मैंने लंड का सुपारा चूत की दरार में रखकर अपने मुँह से ढेर सारा थूक लंड पर छोड़ दिया.
थूक से अपने लंड को पूरा लबालब कर दिया और नीता की चूत पर भी थूक छोड़कर अपने लंड का सुपारा दरार में रखकर दबाने लगा.
नीता भी अपनी गांड उठाकर लंड पर चूत दबा रही थी.
थोड़ी देर मैं आहिस्ता से आगे पीछे करने लगा था.
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नीता ने भी दोनों हाथों से अपनी चूत की फांकों को तान कर रखा था लेकिन सुपारा अन्दर नहीं घुस रहा था.
मैंने नीता की कमर अपने दोनों हाथों से जकड़ कर पूरी ताकत से एक जोर का धक्का लगा दिया.
मेरा लंड चूत फाड़ता हुआ चूत की फांकों को चीरता हुआ चूत के अन्दर आधा घुस गया.
नीता रोने लगी थी, छटपटाने लगी थी और जोर से चिल्लाते हुए बड़बड़ाने लगी- आह मम्मी रे मर गई … ओह ऊंई ऊंई मर गयी मेरी फट गई … आंह निकाल लो लंड … मेरी चूत फट गई हर्षद … आह तेरे मोटे लंड ने मेरी चूत फाड़ दी.
उसकी चूत से खून नीचे फर्श पर टपकने लगा था.
नीता अपने हाथों से चूत को सहलाने लगी थी तो उसकी उंगलियों में को खून लग गया.
वो खून देख कर और ज्यादा बड़बड़ाने लगी थी.
मैं उसके ऊपर झुककर अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसे शांत करने लगा.
मैंने अपनी जीभ से, उसके आंसू पीकर साफ कर दिए.
थोड़ी देर बाद वो सामान्य होती दिखने लगी थी.
उसे चुप देखकर मैंने अपने हाथों से उसकी जकड़ी हुई कमर छोड़ दी और उसकी चूचियां सहलाने लगा.
नीता नकली गुस्सा दिखाती हुई बोली- हर्षद बहुत बेरहम हो तुम … इतनी जोर से भी कोई डालता है क्या?
मैंने उसकी चूचियां सहलाते हुए कहा- मैंने तो तुम्हें पहले ही कहा था नीता कि पहली बार लंड लेने में तुम्हें बहुत तकलीफ होगी.
“हां हर्षद … लेकिन तुम्हारा लंड इतना बड़ा है कि एक झटके में मेरी चूत फाड़ दी. सच में मुझे बहुत दर्द हो रहा है.”
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मैंने प्यार से उसके होंठों को चूमते हुए कहा- जितना दर्द होना था मेरी जान … हो गया .. अब इससे ज्यादा तकलीफ नहीं होगी.
ये सुनकर नीता को राहत की सांस आई.
अब नीता अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ कमर और गांड को सहलाती हुई अपनी गांड हिलाने लगी.
मैं भी अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगा.
मेरा लंड चूत में इतना कसकर बैठा था कि वो चूत में टस से मस नहीं हो रहा था.
नीता बोली- हर्षद देखो न … अभी तुम्हारा मूसल कितना फिट बैठा है, बिल्कुल हिल तक नहीं रहा है.
मैंने कहा- हां नीता, तुम्हारी चूत छोटी है ना इसलिए. अब एक बार पूरा अन्दर चला गया तो समझो फिर कुछ तकलीफ नहीं होगी.
मैंने अपने लंड को आहिस्ता आहिस्ता जोर देकर सुपारे तक बाहर निकाल लिया.
मेरे लंड को खून से लथपथ देखकर नीता बोली- बाप रे हर्षद, कितना खून लगा है तुम्हारे लंड पर!
मैंने उससे कहा- हां नीता … क्योंकि तुम्हारी चूत भी फट गयी है और तुम्हारा कुंवारापन भी दूर हो गया है. तो इतना खून तो लगने वाला ही था.
बस ये कह कर मैंने अपने मुँह से थूक लंड पर छोड़कर लंड फिर से अन्दर डालने लगा.
नीता ये सब देख रही थी.
वो भी आहिस्ता से अपनी गांड उठाकर गाँव की Xxx चुदाई में मेरा साथ देने लगी थी.
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फिर आहिस्ता आहिस्ता नीता की चूत मेरे लंड को अन्दर लेने के लिए जगह बनाने लगी थी.
कुछ मिनट ऐसे ही करने से मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता अन्दर घुसने लगा था.
तब भी अभी मेरा एक डेढ़ इंच लंड बाहर रह गया था.
नीता मादक सिसकारियां लेते हुए मेरी गांड पर अपने हाथ रखकर दबाने लगी थी.
साथ में वो मेरी गांड को सहलाती हुई अपनी उंगलियां मेरी गांड की दरार में फिरा रही थी.
मैं और जोश में आ गया और पूरा लंड सुपारे तक बाहर निकालकर जोर से धक्का मार दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड नीता की चूत की गहराई में जाकर उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.
नीता के मुँह से मादक सिसकारियां फूटने लगीं- आह ऊफ्फ ऊंई मार दिया … आह.
इस बार पहले की बनिस्बत उसकी आवाज में दर्द कम था.
मैंने चार पांच बार ऐसे ही अपना लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर धक्के मार दिए.
इससे मेरे लंड का मुलायम सुपारा उसकी बच्चेदानी के मुँह पर रगड़ जाता था.
तो ये अजीब सा अनुभव नीता सह नहीं पाई और उसका पूरा शरीर अकड़ने लगा था.
उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ कर मुझे अपनी ऊपर खींच लिया और कराहती हुई बोली- ओह हर्षद, अब मैं झड़ने वाली हूँ.
ये कहते हुए उसकी चूत ने अपना गर्म लावा मेरे लंड पर छोड़ दिया.
नीता ने झड़ते समय मुझे अपनी बांहों में कस लिया और आंखें बंद करके निढाल होकर सिसकारियां लेती हुई लेटी रही.
मैं भी अपना सर उसके कंधे पर रखकर लेटा रहा.
थोड़ी देर बाद नीता अपने हाथों से मेरी पीठ और कमर सहलाने लगी तो मैंने अपना सर उठाकर उसे देखा.
मुझे उसके चेहरे पर अलग सी खुशी दिखायी दी, मैंने उसके होंठों को चूम लिया.
उसने भी मेरे होंठों पर अपनी मुलायम जीभ फिराई और बोली- हर्षद, आज मैं बहुत खुश हूँ. तुम्हारा मोटा लंड अपनी चूत में पाकर मेरी बरसों की तमन्ना आज पूरी हो गयी है. तुम्हारे इस लंड ने एक ही झटके में मेरी चूत का पानी निकाल दिया.
मैंने उसे चूम लिया और लंड को जरा सा हिला दिया.
वो समझ गई कि मेरा लंड अभी बाकी है.
अब वो अपनी गांड नीचे से उठा कर लंड को अन्दर बाहर करने की कोशिश करती हुई बोली- हर्षद, तुमने मुझे दो बार झड़ने पर मजबूर किया, लेकिन अब अपने लंड का अमृत मेरी चूत को पिलाकर जल्दी से उसकी बरसों की प्यास बुझा दो. अब नहीं सहा जाता मुझसे!
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मैंने उसकी चूचियां रगड़कर कहा- जैसा तुम चाहो, वैसा ही होगा नीता.
इतना कहकर मैंने खड़े होकर उसकी दोनों टांगें अपने दोनों हाथों में पकड़ लीं और दोनों तरफ फैलाकर अपने लंड को सुपारे तक बाहर निकालने लगा.
चूत फैलाने से नीता की चूत का रस बाहर आकर नीचे फर्श पर टपकने लगा था.
मेरा लंड योनिरस से लबालब हो गया.
मैं फिर से लंड अन्दर डालने लगा तो नीता अपना सर उठाकर देख रही थी.
वो भी अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी थी.
मैं तेज गति से लंड अन्दर बाहर करने लगा तो लंड, चूत के गीले होने के कारण उसमें तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था.
ऐसा करते समय जोर जोर से घर्षण होने लगा था जिससे पच पच की मादक आवाजें निकल कर पूरे घर में गूंजने लगी थीं.
बाहर जोरों से बारिश हो रही थी और ठंडी हवा की लहरें खिड़की से आकर हम दोनों के नंगे जिस्मों को और कामुक बना रही थीं.
दस पन्द्रह मिनट की ऐसी धमाकेदार चुदाई के बाद हम दोनों कामवासना में डूब गए थे.
हमें दीन दुनिया की कोई खबर ही नहीं थी.
नीता अपनी गांड उठा उठाकर मेरा लंड चूत में ले रही थी.
वो अचानक से मदहोशी में बड़बड़ाने लगी- आंह हर्षद और जोर से डालो आह आह … मैं फिर से आ रही हूँ!
मैं और जोर से धक्के देने लगा तो हर धक्के के साथ मेरी अंडगोटियां नीता की गांड के गीले छेद पर रगड़ जा रही थीं.
इससे नीता और मदहोश होकर कामुक सिसकारियां लेने लगी और साथ में बड़बड़ाने लगी- हां ऐसे ही … और जोर से धक्के मारो हर्षद … आंह ऐसे ही रगड़ दो मेरी चूत को … इसकी पूरी गर्मी निचोड़कर बाहर निकाल दो हर्षद … आह.
कुछ मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों ही चरम सीमा पर पहुंच गए थे.
नीता अपनी गांड उठाकर बोली- अब मैं झड़ने वाली हूँ हर्षद.
मैंने कहा- हां मेरी जान, मैं भी झड़ने वाला हूँ … जल्दी बोलो … किधर निकलूँ?
वो बोली- अन्दर ही आ जाओ.
अब मैं पूरी ताकत से धक्के मारने लगा और दूसरी तरफ नीचे से नीता जोर जोर से सिसकारियां लेकर झड़ने लगी.
उसकी गर्म कामरस ने मेरे लंड को नहला दिया और उसकी गर्मी से मेरा लंड जोर जोर की पिचकारियां नीता की चूत की गहराई में मारने लगा.
नीता ने मुझे अपने ऊपर ओढ़ लिया और अपनी बांहों में कस लिया.
साथ में उसने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बनाए रखा.
मैंने अपना सर उसके कंधे पर रख दिया और लेट गया.
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हम दोनों ही बहुत थक गए थे और दोनों ही निढाल होकर एक दूसरे की बांहों में समा गए.
ना जाने हम कितनी देर ऐसे ही लेटे रहे थे.
उसके बाद नीता ने अपनी टांगें मेरी कमर से हटाकर मुझे अपनी पकड़ से आजाद किया और वो अपने हाथों से मेरी पीठ, कमर और गांड को बारी बारी से सहलाने लगी.
उसके कोमल स्पर्श से मैं होश में आ गया और अपना सर उठा कर नीता को देखने लगा.
नीता के चेहरे पर एक अलग सी खुशी दिख रही थी.
वो काफी खुश थी और मेरा सानिध्य पाकर खिल उठी थी.
मैंने उसका माथा चूमकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
इस तरह से उस पूरी रात में मैंने उसे एक बार और गाँव की Xxx चुदाई का सुख दिया.
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