Advertisement

Meree Pahalee Sex Story

मेरा नाम है आलोक और ये मेरी लाइफ में पहली बार है की मैं कुछ लिख रहा हूँ।

तो ये रही, मेरी पहली सेक्स स्टोरी –

पहले, मैं आपका परिचय कहानी के पत्रों से करा दूं।



इस कहानी के सभी पात्र, मेरे ही परिवार के है।

सबसे पहले मेरे पिता – मिस्टर ब्रजेश, उम्र 46

मेरी सौतेली माँ – पिंकी, उम्र 30

मैं आलोक, उम्र 24

मेरी पत्नी – मुस्कान, उम्र 22

मेरा छोटा भाई – वरुण, 22 और उसकी वाइफ – सुरभि, 21 साल

हम एक अच्छे परिवार से हैं और हमारा गारमेंट्स एक्सपोर्ट का बिज़्नेस है।

5 साल पहले, जब मेरी सग़ी माँ का देहांत हो गया.! तब, पापा ने तलाक़शुदा पिंकी से शादी कर ली.!

उस वक़्त, उनकी उम्र 25 साल थी।

                                             

                                                             

लगभग 1 साल पहले, मेरी और कुछ महीने पहले, मेरे छोटे भाई वरुण की शादी हो गई।

मेरे पापा की उम्र, इस वक़्त 46 साल है और वो अपने ज़माने के बहुत बड़े एथलीट थे। इसलिए, बहुत फिट थे। उनकी लम्बाई लगभग 6 फीट और बदन एकदम गठा और कसरती था।

पिंकी की लम्बाई, 5 फीट 4 इंच के लगभग। भरा हुआ बदन, बड़े बड़े बूब्स और बहुत गहरी और सेक्सी नेवेल थी। वो हमेशा, बहुत डीप गले का बैकलेस ब्लाउज पहनती थीं और साड़ी को अपनी गहरी नाभि से 3 इंच नीचे बाँधती थी। उसकी आँखों में हमेशा, एक अजीब सी कामुकता नज़र आती थीं और हाँ!! भाव से हमेशा, वासना झलकती थी।

मैंने सुना था की उसकी पहली शादी, उसके पति के दोस्तों से नाजायज़ संभन्ध के कारण टूटी। पहली शादी टूटने के बाद, वो कई मर्दों से दूसरी शादी के लिए मिली और वो जिस से भी मिलती थी पहली या दूसरी मुलाकात में ही, उसका लण्ड ले लेती थी।

कुल मिला कर, मेरे पापा से शादी करने से पहले पिंकी कई लण्ड का अनुभव ले चुकी थी।

अब आता हूँ अपने पर, मैं एक 5 फीट 11 इंच की लम्बाई और 24 साल का शादीशुदा मर्द है और अपने पापा की तरह ही, एकदम फिट आदमी हूँ।

मुस्कान, मेरी बीवी की उम्र 22 साल और लम्बाई 5 फीट 6 इंच थी। उसका बदन, बिल्कुल तराशा हुआ था। हर चीज़ सही तरह से बनी हुई। ना बिल्कुल ज़्यादा, ना थोडा सा कम। उसके भी बड़े, गोल और भरे हुए बूब्स थे।

वो भी पिंकी की तरह ही साड़ी पहनती थी, पर उसका तरीका कुछ अलग था। वो अक्सर छोटा ब्लाउज और नेट की साड़ी ही पहनती थी। साड़ी के अंदर, उसके बड़े बड़े बूब्स छोटे बिकनी ब्लाउज से बाहर निकलने को बेकरार रहते थे। उसकी भी आँखों में एक नशा और प्यास, देखी जा सकती थी।

सच तो ये है की मुझे उसकी भी तमन्ना, बहुत सारे लण्ड लेने की लगती है पर लगता है की उसे ज़यादा मर्दों से चुदने का मौका नहीं मिला।

अब, मेरा छोटा भाई वरुण। उसकी लम्बाई 5 फीट 9 इंच थी और वो एक फिटनेस फ्रीक बॉडी बिल्डर था। वो बिल्कुल शेप में था और उसकी एक एक मसल, उभरी हुई थी।

इधर, सुरभि की लम्बाई 5 फीट 7 इंच और उम्र 21 साल थी। बदन उसका भी बिल्कुल फिट था पर उसके बूब्स, उसके बदन के हिसाब से ज़्यादा बड़े थे।

                                          

लेकिन, वो पिंकी और मुस्कान की तरह साड़ी नहीं पहनती थी। उसको शॉर्ट स्कर्ट्स, डीप नेक टॉप, जीन्स, शर्ट और छोटे छोटे और वेस्टर्न कपड़े पहनने का शोक था। उसके बूब्स की तरह ही उसकी गाण्ड, काफ़ी भरी हुई है.! इसलिए, शॉर्ट्स और स्कर्ट्स में बहुत कामुक लगती है.!

सुना है की कॉलेज के दिनों में 4 लड़कों के ग्रूप में अकेली लड़की थी और चारों मिल के उसे चोदते थे।

तीनों औरतों मैं एक चीज़ कामन थी, बदन दिखाने वाले कपड़े पहनने का शोक और लण्ड की भूख।

हमारा परिवार, आपस में काफ़ी ओपन है और हम सभी ऑफीस जाते हैं और मिल कर, अपना “गारमेंट्स मॅन्यूफॅक्चरिंग और एक्सपोर्ट्स” का बिज़्नेस देखते हैं।

मैं और मेरा छोटा भाई वरुण, पिंकी को कभी माँ नहीं बुलाते।

हम उसको, उसके पहले नाम यानी की पिंकी कह के ही बुलाते हैं।

सिर्फ़ पापा को छोड़ कर, हम सभी एक दूसरे को नाम से ही बुलाते हैं।

पिंकी पापा को ब्रजेश कह के बुलाती है और बाकी हम सब, पापा को पापा ही बुलाते हैं।

हमारे घर में पिंकी, मुस्कान या सुरभि को किसी भी तरह के कपड़े अपनी मर्ज़ी से पहनने की पूरी आज़ादी है।

आज कल, गारमेंट्स मॅन्यूफॅक्चरिंग का ऑफ सीज़न चल रहा था.! इसलिए, मैंने और मुस्कान ने 2 हफ्ते के लिए, ऊटी छुट्टी मानने जाने का प्लान बनाया.! जिस दिन हम ऊटी के लिए निकले, उसके अगले दिन वरुण को भी 3 हफ्ते के लिए काम से मॉरिशस जाना पड़ा.!

हमारे और वरुण के जाने के बाद, पिंकी को खबर मिली की उसकी माँ जो की अमेरिका में रहती हैं, बहुत बीमार हैं और उनको कभी भी कुछ भी हो सकता है।

अब यहाँ पे बिज़्नेस था और सुरभि 2 हफ्ते के लिए, अकेली हो जाती.! इसलिए, पिंकी ने अकेले जाने का फ़ैसला किया और 2 हफ्ते के लिए, पापा और सुरभि, यहाँ अकेले रह गए।
आज कल, ऑफ सीज़न था.! इसलिए, सिर्फ़ पापा ही ऑफीस जाते थे और सुरभि घर पे रहती थी.!

पिंकी के जाने के अगले दिन सुबह पापा के ऑफीस जाने के बाद, सुरभि उनका बेड ठीक कर रही थी की तभी सुरभि को गद्दे के नीचे से एक सी डी मिली।

पापा शायद ग़लती से भूल गए थे।

सुरभि ने डिसाइड किया की वो सी डी चला के, देखेगी।

उसने, वो सी डी पापा के कमरे में ही होम थियेटर सिस्टम पे चलाई और जैसे ही सी डी शुरू हुई, उसने होम थियेटर की 52 इंच की स्क्रीन पे जो देखा तो बस देखती ही रह गई।

                                                 

उसे सी डी की स्क्रीन पर पापा और पिंकी पूरे नंगे थे और पापा अपने 9 इंच के मोटे लण्ड से नंगी पिंकी को अलग अलग पोज़िशन्स में चोद रहे थे.! शायद, ये सी डी पापा और पिंकी ने खुद ही शूट की थी.!

थोड़ी देर देखने के बाद, सुरभि की चूत गीली हो गई और उसे ने वीडियो बंद कर के सी डी वहीं रख दी, जहाँ उसे मिली थी.!

सी डी देखने के बाद, सुरभि के मन में पापा का लण्ड लेने की भूख जग गई।

उसने सोचा की 2 हफ्ते तक वो पापा के साथ अकेली है, पापा को सिड्यूस करने का इसे से अच्छा मौका नहीं मिलेगा।

पापा जब वापस आए तो वो उनको अजीब सी भूखी नज़रों से देखने लगी और उनको सिड्यूस करने के बारे में सोचने लगी।

उसी दिन रात को यही सब सोचते हुए, वो बहुत उतेज्ज़ित फील कर रही थी।

वो अपने बिस्तर से उठी, कमरे से बाहर आई और पापा के रूम की तरफ चल पड़ी।

पापा के रूम के पास पहुँच कर, वो उनके रूम के डोर के की होल से अंदर देखने लगी और अंदर उसने जो देखा.! वो देख कर, उसकी भूख और बढ़ गई और वो और भी ज़यादा उतेज़ित फील करने लगी.!

उसने देखा की पापा अपने बिस्तेर पे पूरे नंगे लेटे थे।

उनका 9 इंच का लण्ड, पूरा खड़ा था और वो होम थियेटर पर वही खुद का और पिंकी का वीडियो देख रहे थे।

वो अपने कमरे में वापस आ गई और अपने सुसुर जी को सिड्यूस करने के बारे में, सोचने लगी।

थोड़ी देर सोचने के बाद, उसे ने अलमारी से एक सेक्सी सी बिकनी निकाली और उसे पहाँ कर, ऊपर से एक गाउन डाल कर स्वीमिंग पूल की तरफ चल दी।

स्वीमिंग पूल के पास पहुँच कर, उसने गाउन निकाल दिया और अब वो सिर्फ़ एक छोटी सी बिकनी में थी।

पापा के रूम की एक खिड़की, स्वीमिंग पूल की तरफ खुलती थी।

सुरभि ने जानमुझ कर, उँचाई से पानी में डाइव लगाई.! जिससे की बहुत आवाज़ हो और जैसा उसने चाहा था, वैसा ही हुआ.!

                                            


रात के 1 बजे स्वीमिंग पूल में पानी की आवाज़ सुन कर, पापा खिड़की पे आ गए और झाँक के पूल में देखने लगे।

उन्होंने, वहाँ सुरभि को बिकनी में स्वीमिंग करते हुए देखा।

थोड़ी देर देखने के बाद, उनके मन में सुरभि के लिए चुदाई की फीलिंग आने लगी और वो सुरभि को उसी नज़रों से देखने लगे।

देखते ही देखते, उनका लण्ड और टाइट हो गया और वो अपने सीधे हाथ से लण्ड को सहलाने लगे।

सुरभि ने स्वीमिंग करते हुए, ये सब भाँप लिया था।

वो पूल से, बाहर आ गई।

पूल के किनारे, ओपन में एक शावर था.! जो पूल और पापा की खिड़की के बीच था।

सुरभि, उसी शावर के नीचे बिकनी में खड़ी हो गई और पापा खिड़की पर खड़े हो के सुरभि के बदन को देखते हुए, लण्ड हिला रहे थे।

खिड़की के ग्लास से बाहर से अंदर नहीं देखा जा सकता था.! इसीलिए, पापा कॉन्फिडेंट थे क्यों की सुरभि उन्हें नहीं देख सकती थी.!

इसी का फ़ायदा उठा के, सुरभि भी अपने बदन को दिखा रही थी पर वो शीशे पे पड़ रही पापा की परछाईं को देख कर सब अनुमान लगा रही थी और समझ गई थी की पापा उसे देखते हुए लण्ड हिला रहे हैं।

                                                  


थोड़ी देर दूर से देख के हिलाने का मज़ा लेने के बाद, पापा ने पास जा के सुरभि का बिकनी में लगभग पूरा नंगा बदन देखने का मन बनाया।

उन्होने, एक नहाने का गाउन पहना और पूल की तरफ चले गये और इधर पूल के पास सुरभि शावर से निकल के अपना बदन पोंछ रही थी।
जब पापा सुरभि के पास पहुँचे तो सुरभि तौलिया छोड़ कर, सीधा सीना फूला के उनके सामने खड़ी हो गई और गहरी साँसें लेने लगी।

गहरी साँसों के साथ, उसके बिकनी में से बाहर आने तो तैयार बूब्स, ऊपर नीचे होने लगे।

सुरभि के बूब्स को इस तरह, इतने पास से देख कर, पापा का लण्ड और भी बुरी तरह फड़फड़ाने लग गया।

सुसुर जी – अरे सुरभि, तुम इतनी रात को 1 बजे, यहाँ पूल में क्या कर रही हो…

सुरभि – हाँ पापा… वो नींद नहीं आ रही थी और कुछ समझ नहीं आया की क्या करूँ तो यहाँ स्वीमिंग करने आ गई…

ससुरजी – चलो, तुम मेरे कमरे में चलो… वहाँ एक एक ड्रिंक पीते हैं, शायद उसे के बाद, तुम को नींद आ जाए…

सुरभि – ठीक है पापा, चलो… वैसे भी मैं बहुत बोर हो रही हूँ और नींद बिल्कुल नहीं आ रही…

सुरभि ने अपना गाउन उठाना तो दूर, उसकी तरफ देखा भी नहीं और बिकनी में ही, पापा के साथ उनके रूम की तरफ चलने लगी।

रूम में पहुँच कर, सुरभि बेड पर बैठ गई और पापा बार के पास खड़े हो कर ड्रिंक बनाने लगे।

उन्होंने रेड वाइन के दो ग्लास भरे और एक सुरभि की तरफ बड़ा दिया।

सुरभि ने मुस्कुराते हुए, वाइन का ग्लास पापा से ले लिया।

ससुरजी – सुरभि, तुम्हारी बिकनी बहुत भीगी हुई है… तुम चेंज क्यों नहीं कर लेती…

सुरभि – पापा वो कपड़े लेने, ऊपर अपने रूम तक जाना पड़ेगा…

ससुर जी, अरे तुम को अपने रूम तक जाने की ज़रूरत नहीं है, मेरे बाथरूम में तौलिया है… तुम बिकनी उतार के तौलिया पहाँ लो, और फिर आराम से बैठ के मेरे साथ वाइन का मज़ा लो… जब नींद आए तो चली जाना…

सुरभि – ठीक है, पापा… गुड आइडिया…

ये कह कर, सुरभि उठ के बाथरूम में चली गई और बिकनी उतार के तौलिया पहाँ के बाहर आ गई।

दोनों वाइन सीप करने लगे।

सुरभि को देखते हुए, पापा के नहाने के गाउन के नीचे खड़े लण्ड से टेंट बन गया था।

वहीं सुरभि की भी हालत बुरी थी।

वो भी पापा के टेंट और थाइस और छाती के बाल देख देख कर, गरम हो रही थी।

सुरभि सोचने लगी की अब बात आगे कैसे बड़ाई जाए।

सुरभि ने पापा के लण्ड के दर्शन करने का एक जुगाड़ निकाला।

उसने पापा से बोला, टीवी चालू कर दूं और उठ के टीवी की तरफ बड़ी।

रास्ते में, वो सोफा था.! जिस पे, पापा बैठे थे.!

सुरभि ने उनकी टाँगों में उलझने का नाटक करते हुए, अपना वाइन का ग्लास पापा के ऊपर उडेल दिया और सॉरी बोलते हुए हाथ से वाइन झाड़ते हुए सुरभि ने पापा के गाउन का बेल्ट खोल दिया।

गाउन का बेल्ट खुलते ही, गाउन पापा के कंधों से झूलने लगा और उनकी सामने की बॉडी पूरी नंगी हो गई और लण्ड सीधा खड़ा हो के, सुरभि की तरफ खड़ा हो के सलामी देने लगा।

सुरभि पापा के लण्ड को भूखी नज़रों से देखने लगी और पापा ने अपना लण्ड ढकने की, ज़रा भी कोशिश नहीं की।

ससुरजी – क्या हुआ सुरभि… तुम ने मेरा गाउन क्यों खोला…

                                                


सुरभि – सॉरी पापा… आप के ऊपर, वो वाइन गिर गई थी और मुझे नहीं पता था की आप ने अंदर अंडर वियर नहीं पहना है…

ससुरजी – चलो, कोई बात नहीं… ठीक है…

सुरभि – पर पापा, आप ये गाउन पूरा निकाल दो… नहीं तो, वाइन से आपकी स्किन चिप चिपि हो जाएगी…

ससुरजी – ठीक है… पर गाउन निकाला तो मैं पूरा नंगा हो जाऊंगा…

सुरभि – कोई बात नहीं… मैं बिल्कुल भी माइंड नहीं करूँगी… आप गाउन निकाल दीजिए…

ससुरजी – ठीक है…

पापा ने, अपना गाउन निकाल दिया।

अब वो सोफे पर सुरभि के सामने, पूरे नंगे बैठे थे और उनका 9 इंच का पूरा खड़ा हो के सुरभि को सलामी दे रहा था।

सुरभि की नज़र, पापा के लण्ड पर ही टिकी थी।

सुरभि, अभी भी तौलिया में थी और वो किसी बहाने अपना तौलिया उतारने का प्लान बनाने लगी।

पापा का हाथ, लण्ड तक पहुँच गया था।

वो एक हाथ से, वाइन सीप कर रहे थे और दूसरे हाथ से सुरभि को देखते हुए लण्ड हिला रहे थे।

तब तक, सुरभि एक प्लान बना चुकी थी।
सुरभि – अरे पापा, आप के छाती पे और टमी पे वाइन लगी है… इसे सॉफ कर लेना चाहिए नहीं तो स्किन चिपचिपी हो जाएगी…

ससुरजी – कैसे करूँ… बाथरूम में एक ही तौलिया था, जो की तुम ने पहाँ रखा है…

सुरभि – ओह!! तो आप ये तौलिया ले लीजिए और सॉफ कर लीजिए… लाइए, मैं सॉफ कर देती हूँ…

ससुरजी – पर ये तौलिया उतारा तो तुम नंगी हो जाओगी…

सुरभि – तो क्या हुआ… आप भी तो पूरे नंगे हो…

ससुरजी (सोफे से खड़े होते हुए) – ठीक है, तुम ही सॉफ कर दो…

सुरभि उठ कर, बाथरूम में गई और अपना तौलिया उतार के थोडा सा गीला किया और हाथ में तौलिया ले के पूरी नंगी बाहर आ गई।

पापा अब एकटक, उसके बूब्स देख रहे थे।

वो इतराती और बलखाती हुई सिर से पाँव तक नंगी, पापा के पास गई और एकदम से खंडे लण्ड पे हाथ रख के, दूसरे हाथ से पापा का सीना तौलिया से सॉफ करने लगी.!

सुरभि के बूब्स, पापा के सिने से टच हो रहे थे और पापा के लण्ड का सुपाड़ा सुरभि के प्यूबिक एरिया पे रगड़ रहा था।

वाइन सॉफ करने के बाद, सुरभि ने तौलिया बाथरूम की तरफ फेंक दी पर अपनी पोज़िशन चेंज नहीं की.!

सुरभि – (ससुरजी के सिने पे हाथ मलते हुए) – पापा सॉफ हो गई, आप की छाती…

ससुरजी – हाँ बेटा… धन्यवाद…

इतना कहते हुए, पापा ने सुरभि के कंधे पे हाथ रख दिए और दवाब बनाते हुए नीचे बिठा दिया।

सुरभि भी पापा का इशारा समझ गई और उनकी जांघों पे बैठ गई।

अब पापा का लण्ड, सुरभि के मुंह के सामने था और लिप्स पे टच हो रहा था।

सुरभि ने मुंह खोला और पापा ने अपना लण्ड सुरभि के मुंह में डाल दिया।

ससुरजी – उःमन्ह: सुरभि… चूसो मेरा लण्ड, ज़ोर से… मज़ा आ रहा है… चूसती रहो… तुम्हारी चूत, क्या मस्त है… चलो उठो, बेड में चलो…

सुरभि – पापा, मैं आप की रंडी हूँ… चोद डालो, मुझे…

पापा ने सुरभि को बेड पे लिटाया और लण्ड उसकी चूत पे रखा।

ससुरजी – तो फिर, आ जा मेरी रंडी… चुदने के लिए, तैयार हो जा…

सुरभि – मैं तो कब से तैयार हूँ… भूखी हूँ, लण्ड के लिए… डाल डो अपने मजबूत लण्ड को मेरे अंदर… आआ अहह…

ससुरजी – ले अंदर गया… और पापा ज़ोर ज़ोर से सुरभि को चोट मारने लगे।

पट पट पट पट पट पट… फॅट फॅट फॅट फॅट फॅट फॅट…

सुरभि – आ अहह आहह आअहह आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… छोड़ दो मुझे… फाड़ दो… आहहा आहह ह ह ह ह ह ह ह… ले लो, मेरी चूत… कुतिया की तरह, चोदो मुझे पापा… बहुत मज़ा आ रहा है…

ससुरजी – ये ले रंडी और ले… तू तो, पिंकी से भी बड़ी रंडी है… पिंकी से ज़्यादा मज़ा आ रहा है, तेरी चूत लेने में… आआहह आआ अहह आ आ आ आ आ आ आ आ आ सुरभि.!.! आ आहह ह ह ह ह ह ह ह ह ह आ आहह मुस्कान s s s s s s… आ आहह आ अहह आ आहह आ आहह स स स स स स स स स स सुरभि s s s s s s… आ आ अहह उंह म म म म म…

सुरभि – और ज़ोर से पापा, और ज़ोर से… मैं आ रही हूँ पापा, मैं आ रही हूँ…

ससुरजी – सु रभि स स स स स स स s s s s s s… आ अहह ह ह ह ह ह ह… मैं भी…

फिर थोड़ी देर बाद, चुदाई के बाद वाइन पीते हुए।

सुरभि – पापा, आप ने मुझे चोदते हुए एक दो बार मुस्कान का नाम लिया था… आप को, उसकी भी चाहिए क्या… मैं कुछ हेल्प करूँ, आप की…

ससुरजी – अरे, वो सब अभी रहने दो… अभी तो मुझे ये 2 हफ्ते, तुम्हारे बदन का पूरा मज़ा लेने दो…
उसके बाद, अगले 2 हफ्ते तक मेरे पापा और सुरभि दोनों साथ ही सोते थे और रोज चुदाई करते थे।

2 हफ्ते बाद, पिंकी के अमेरिका से वापस आने का टाइम आ गया था और मेरी भी छुट्टियाँ पूरी हो रही थी और मुझे मुस्कान के साथ वापस आना था।

हमारे बिज़्नेस के सिलसले में हमारे एक रुटीन क्लाइंट, जो की सिंगापुर में थे। वो हमें किसी थर्ड पार्टी के साथ, बिज़्नेस मीटिंग्स और डीलिंग्स के लिए मिलवाना चाहते थे।

वो चाहते थे की हम में से कोई, कुछ दिनों के लिए सिंगापुर आ जाए और मीटिंग में पार्टिसिपेट करे।

उन्होंने पापा को कॉल कर के रिक्वेस्ट की, हमारे परिवार में से कोई आ जाए।

पापा ने कहा – ठीक है… मैं किसी को भेजता हूँ… नो प्राब्लम… कोई ना कोई, पहुँच जाएगा…

पापा ने सोचा की पिंकी, अभी भी अमेरिका में ही है। उसको बोलता हूँ, अगर वो जा सके तो अच्छा होगा।

ये सोच कर, पापा ने पिंकी को कॉल किया और सारी बात बताई।

पिंकी तो हमेशा से लण्ड की भूखी थी और मुझे और वरुण को सिड्यूस करना चाहती थी पर कभी ऐसा कोई मौका नहीं आया।

पिंकी ने सोचा – शायद, इस बार ऐसी कोई बात बन जाए… और यही सोच कर, उसने पापा से कहा की वो अमेरिका से सीधा 1 हफ्ते के लिए, सिंगापुर चली जाएगी पर उसे ने ये भी कहा – वरुण या आलोक में से कोई, मेरे साथ वहाँ आ जाए तो अच्छा होगा और मुझे डिसिशन्स लेने में आसानी होगी…

पापा ने कहा – ठीक है… वरुण को तो अभी मॉरिशस में एक हफ्ते और लगेगा तो मैं आलोक से बात करता हूँ…

फिर पापा ने मुझे, ऊटी कॉल किया।

तब मैं, एक दो दिन में वापस आने की सोच ही रहा था।

पापा ने मुझे सारी बात बताई तो मैंने सोचा की ये गरमा गरम पिंकी के साथ सिंगापुर में रहने का गोलडेन चान्स है.! यही सोच कर के, मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने तुरंत हाँ कर दी.!

मैंने पापा को बोला – मैं मुस्कान को देल्ही की फ्लाइट पर घर के लिया छोड़ कर, यहाँ से डाइरेक्ट सिंगापुर चला जाता हूँ…

पापा ने मुझे बताया की पिंकी वहाँ कल पहुँचने वाली है… कल, तुम मुस्कान को घर के लिए रवाना कर के पिंकी को कॉल कर लेना और परसों तक पहुँच जाना…

अगले दिन, मैंने मुस्कान को एयरपोर्ट छोड़ के पिंकी को कॉल किया।

मैं – हैलो, पिंकी…

पिंकी – हैलो आलोक… कैसे हो तुम…

मैं – मैं ठीक हूँ, पिंकी… आप बताओ आप कैसी हो…

पिंकी – मैं भी ठीक हूँ… मैं यहाँ सिंगापुर में हूँ…

मैं – हाँ पिंकी… पापा ने बताया था की तुम आज सिंगापुर पहुँच जाओगी… मैं भी कल वहाँ आ रहा हूँ… कल मैं, दिन में 3 बजे तक वहाँ पहुँच जाऊंगा…

पिंकी – ठीक है, जल्दी आ जाओ… मैं अभी अभी यहाँ पहुँची हूँ और पेसिफिक होटल में चेक इन किया है… मैं कल 3 बजे एयरपोर्ट आ जाउंगी तुम को लेने…

मैं – नहीं पिंकी, मैं अपने आप ही होटल आ जाऊंगा… तुम को आने की ज़रूरत तो नहीं है, वैसे… फिर भी, अगर तुम फ्री हो और आना चाहती हो तो…

पिंकी – कोई बात नहीं, आलोक… वैसे भी मैं फ्री हूँ, होटल में बोर हो जाउंगी… हमारी मीटिंग्स 3 दिन बाद, सोमवार से स्टार्ट हैं और बुधवार तक हैं…

मैं – ठीक है… कोई बात नहीं, आप आ जाना…
पिंकी – ठीक है… हाँ एक और बात… मैंने यहाँ पेसिफिक में हम दोनों के लिए एक ही रूम बुक किया है… मुझे लगता है, तुम को मेरे साथ रूम शेयर करने में कोई प्राब्लम नहीं होगी… अगर, तुम अलग रूम चाहते हो तो बता दो… मैं अभी एक और रूम बुक कर दूँगी…

मैं – (मेरे मन में लड्डू फूटा और लण्ड खड़ा हो गया) अरे नहीं, पिंकी कोई प्राब्लम नहीं है… हम दोनों एक ही रूम में रह लेंगें… मुझे बिल्कुल भी प्राब्लम नहीं है…

पिंकी – चलो, ठीक है… गुड उनमह: आ जाओ… मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ… उफफफफफफ्फ़…

मैं – (लंबी साँस लेते हुए और छोड़ते हुए) पिंकी मैं आ रहा हूँ, कल पक्का… 3 बजे…

पिंकी – चलो, कल मिलते हैं, एयरपोर्ट पर…

मैं – ठीक है… बाय बाय…

मैंने अगले दिन, अपना सामान पैक किया और ऊटी के रिज़ॉर्ट से चेक आउट कर के सिंगापुर के लिए निकल पड़ा।

जब मेरा प्लेन सिंगापुर एयरपोर्ट पे लैंड हुआ और मैं जैसे ही एयरपोर्ट से बाहर आया तो वहाँ पिंकी को खड़ा मेरा वेट करते देखा।

पिंकी ने भी मेरी तरफ देखा और हम दोनों की नज़रें मिली और हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्करा दिए।

पिंकी, सुपर सेक्सी लग रही थी।

पिंकी ने एक डार्क ब्लू कलर की सी थ्रू साड़ी पहनी थी और उसके साथ मिलते कलर का स्लीवलेस और बैकलेस, डीप नेक का ब्लाउज पहना था।

उसने अपनी साड़ी नाभि से, 3 इंच नीचे बँधी थी।

उस ड्रेस में, उसको देखते ही, मेरे तन बदन में आग लग गई और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

फिर हम दोनों ने ही एक दूसरे को हैलो किया और हग करने के लिए, पिंकी ने अपनी बाहें फैला दी।
मैंने भी उसे एक ज़ोर का हग दिया और हग देते हुए, उसकी बैकलेस ब्लाउज से नंगी होती हुई पीठ पर हाथ से हल्का सा मसाज दिया।

फिर हम दोनों अलग हो कर, उसको लाई हुई टैक्सी की तरफ चल पड़े।

जब हम टैक्सी के पास पहुँचे तो ड्राइवर ने समान डिग्गी में रखा और हम दोनों पीछे की सीट पर बैठ गए।

जब पिंकी टैक्सी में बैठ रही थी, तब उसने जान बूझ कर, साड़ी का आँचल उसके सीने से ढलका दिया और ऐसे ही बैठ गई।

उसने अपना टैक्सी की सीट पे पड़ा आँचल वापस उठाने की फिर कोई कोशिश नहीं की और ऐसे ही बैठी रही।

मैं उसके बगल में बैठा था।

टैक्सी चल पड़ी और मैं पिंकी के बगल में बैठा उसकी डीप क्लीवेज और नेवेल एरिया को घूर रहा था।

घूरते हुए, मेरा लंबा और मोटा लण्ड एक दम खड़ा हो गया और पैंट मैं टेंट बना के पिंकी को सलामी देने लगा।

मैंने भी लण्ड के टेंट को, कवर करने की ज़रा भी कोशिश नहीं की।

पिंकी मुझे उसको घूरते हुए देख रही थी और मेरे पैंट में बना टेंट भी देख रही थी।

ये देख कर, उसने भाँप लिया की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है और वो मन ही मन खुश हो रही थी की अब यहाँ सिंगापुर में उसको मेरा लण्ड मिल ही जायगा।

थोड़ी देर में, हम लोग होटल पहुँच गये और टैक्सी से उतर कर अपने रूम में आ गए।

पिंकी ने पीछे से रूम लॉक कर दिया और मैंने अपना समान एक तरफ रख दिया।

पिंकी – आप चेंज कर के, फ्रेश हो जाओ… तब तक मैं, रूम सर्विस से कुछ ऑर्डर करती हूँ…

मैं – क्या ऑर्डर करोगी… मुझे अभी भूख नहीं है… एयरपोर्ट पे और फ्लाइट में मैं बहुत कुछ खा चुका हूँ… आप ने लंच किया या नहीं…

पिंकी – मैं भी लंच कर के ही, एयरपोर्ट के लिए निकली थी… अभी तो 4:30 ही बजे हैं… डिन्नर टाइम होने में, अभी बहुत देर है…

मैं – तो अब आगे क्या प्लान है…

पिंकी – आगे अब 3 दिन तक, हमको यहाँ कोई काम नहीं है… चलो, ऐश करते हैं… कुछ दारू शरु पीते हैं और एंजाय करते हैं…

मैं – गुड आइडिया… तुम कुछ ड्रिंक्स और स्नैक्स ऑर्डर करो… तब तक मैं चेंज कर के आता हूँ…

पिंकी – ठीक है… तुम क्या पियोगे… तुम्हारी पसंदीदा स्कॉच, विस्की या कुछ और…

मैं – मैं तो विस्की ही पीऊंगा… और तुम…

पिंकी – मैं भी आज विस्की पियूंगी… ठीक है, चलो मैं ऑर्डर करती हूँ…

मैंने अपने सामान में से एक शॉर्ट और एक टी शर्ट निकाली और बाथरूम में चला गया।

फिर, मैंने अपने सारे कपड़े ओर अंडरवियर उतार के शॉर्ट और टी शर्ट पहाँ ली।

शॉर्ट के अंदर, मैंने अंडर वियर नहीं पहना था।

फिर, मैं वापस कमरे में आ गया और सोफे पे बैठ गया।

पिंकी बेड पर बैठी थी।

थोड़ी देर में, वेटर एक विस्की की बॉटल, सोडा, आइस क्यूब्स सलाद और कुछ स्नैक्स ले कर आ गया।

पिंकी ने उठ कर, दरवाज़ा खोला और सारा समान टेबल पर लगवा दिया।

वेटर के जाने के बाद, वो दरवाज़ा लॉक कर के पलंग पे आ कर बैठ गई।

मैं – पिंकी, तुम भी चेंज कर के कंफर्टबल हो जाओ…

पिंकी – नहीं… मैं ऐसी ही, ठीक हूँ… मैं बस ये साड़ी निकाल देती हूँ, जो इधर उधर गिर रही है… फिर, मैं कंफर्टबल हो जाउंगी… मुझे साड़ी पहाँना ही पसंद है पर इसको संभालना थोड़ा अनकंफर्टबल होता है…

ये कह कर, पिंकी बेड से उठी और अपनी साड़ी उतार कर, वॉर्डरोब में रख दी।

फिर, वो वापस आ कर बेड पर बैठ गई।

अब वो सिर्फ़ अपने बैकलेस और डीप नेक ब्लाउज और पेटीकोट में थी।

वो मेरे सामने बेड पर बैठी थी और मैं सोफे पर, बीच में टेबल पर ड्रिंक्स और खाने का समान लगा था।

पिंकी ने विस्की के दो पेग बनाए और एक मेरी तरफ बड़ा दिया।

हम दोनों चियर्स कर के, अपना अपना ड्रिंक सीप करने लगे।

मैं पिंकी के सामने बैठ कर, प्यासी नज़रों से उसके डीप नेक ब्लाउज में से बाहर निकलते हुए बूब्स, सेक्सी टमी और डीप नेवेल को देखते हुए विस्की सीप कर रहा था।

मेरा 9 इंच का लण्ड, शॉर्ट में पूरा खड़ा था और एक बहुत उँचा टेंट बना रहा था।

पिंकी भी उसे भूखी नज़रों से घूर रही थी और विस्की सीप कर रही थी।
हम दोनों ने, एक एक पेग ख़तम किया और पिंकी दूसरा पेग बनाने लगी।

दूसरा पेग बना के, पिंकी ने मेरी तरफ बढ़ाया।

                                                 

दूसरा पेग, उसके हाथ से लेते हुए मेरी उंगलियाँ उसकी उंगलियों से टच हुई और हम दोनों के मुंह से एक हल्की सी अंह: निकल गई।

फिर, हम दूसरा पेग सीप करने लगे।

दूसरा पेग, सीप करते हुए.! .!

पिंकी – अमेरिका में, बहुत व्यस्तता थी और सफ़र से आते हुए, मैं काफ़ी थक गई थी… अब जा के, थोड़ा आराम मिल रहा है… मन कर रहा है, एक अच्छा सा फुल बॉडी मसाज लेने का…

मैं – हाँ, मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है…

पिंकी – तुम को मसाज चाहिए तो तुम्हारे लिए, कोई लड़की बुलाऊँ… जो मसाज भी देगी और बाकी सारे मज़े भी देगी… वैसे भी 3 दिन तक, हम को कोई काम नहीं है और सिंगापुर तो फेमस है यहाँ की गरमा गरम रंडियों के लिए… इंडिया से काफ़ी मर्द यहाँ, सिर्फ़ यही करने आते हैं…

मैं – (शॉर्ट के ऊपर से अपने लण्ड पे हाथ फेरते हुए) नहीं यार, पिंकी… मैं अगर लड़की के साथ लगा रहा तो तुम और भी बोर हो जाओगी… मुझे तुम्हारा भी तो ख़याल रखना है…

पिंकी – अच्छा इतना ख़याल है मेरा की तुम मेरे लिए, सिंगापुर की एकदम गरमा गरम और चका चक रंडियाँ चोदने का मौका छोड़ रहे हो… हुम्ह: फिर, तो मुझे भी तुम्हारे एंटरटेनमेंट के लिए, कुछ करना चाहिए…

मैं – तुम क्या करोगी…

पिंकी – आज शाम को हम “स्ट्रीप शो” देखने चलते हैं… क्या ख़याल है…

मैं – नहीं यार पिंकी… फिरंगी और चीनी लड़कियों को स्ट्रीप करते हुए, नंगी देखने में कोई मज़ा नहीं है… मुझे तो मुस्कान और तुम्हारे जैसी “राक हार्ड, सेक्सी देसी लड़कियाँ” ही पसंद हैं…

पिंकी – अच्छा, मेरे जैसी…

मैं – हाँ…

पिंकी – अच्छा मैं “राक हार्ड, सेक्सी और देसी औरत” हूँ… वैसी, जैसी तुम को पसंद हैं…

मैं – हाँ!! बिल्कुल…

पिंकी – हुम्म्म: सोच रही हूँ की फिर मैं अब क्या करूँ, तुम्हारे एंटरटेनमेंट के लिए… मुझे भी तुम्हारे जैसे फिट मर्द पसंद हैं और जैसा की मैं तुम्हारे शॉर्ट के ऊपर से देख सकती हूँ, तुम्हारा लण्ड भी काफ़ी बड़ा और मोटा लग रहा है…

मैं – हाहाहा: हाँ… थैंक्स… तुम्हारा बदन भी बहुत सेक्सी है…

पिंकी – थैंक्स, तुम को मेरा बदन पसंद है तो हम दोनों ही, फिर एक दूसरे को मज़ा दे सकते हैं… स्ट्रीप पोकर के बारे में सुना है…

मैं – हाँ स्ट्रीप पोकर… हाँ मुझे पता है… कभी खेला नहीं, पर हाँ मनोरंजक होगा…

पिंकी – चलो, फिर… हम दोनों स्ट्रीप पोकर खेलते हैं… जैसा की मैं देख सकती हूँ, तुम कब से मेरा बदन देख रहे हो और मुझे ऐसे देखते हुए तुम्हारा लण्ड भी एकदम खड़ा है…

मैं – हाहाहा:… चलो, ठीक है… खेलते हैं…

पिंकी उठ कर, वॉर्डरोब में से ताश की गड्डी ले आई और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई।

उसने एक एक हाथ ताश बाँट दिए और पहली बाज़ी शुरू हुई।

पहली बाज़ी, मैं हार गया।

पिंकी – वाउ!! मैं जीत गई…

मैं – हाँ, माइ हार्ड लक… बताओ, कौन सा कपड़ा उतारूँ…

पिंकी – तुम अपनी टी शर्ट, उतार दो… मैं तुम्हारा चौड़ा नंगा सीना देखना चाहती हूँ…

मैं – (टी शर्ट उतारते हुए) मेरे बदन पे दो ही कपड़े हैं, अगर फिर से हारा तो पूरा नंगा हो जाऊंगा…

पिंकी – चिंता, मत करो… मैंने भी पैंटी नहीं पहनी… मेरे बदन पर भी दो ही कपड़े हैं…

मैं – मतलब, हम 4 बाज़ी से ज़यादा नहीं खेल पाएँगें…

पिंकी – नहीं, हम पूरे नंगे होने के बाद भी गेम जारी रखेंगें… सारे कपड़े उतारने के बाद, जो हारेगा उसे एक डेयर करना होगा… बोलो, मंज़ूर है…

मैं – हाँ, गुड आइडिया… बहुत मज़ा आने वाला है…

पिंकी – तुम्हारी नंगी छाती, बहुत सेक्सी लग रहा है…

मैं – धन्यवाद…

पिंकी ताश ले कर, दूसरा हाथ बाँटने लगी और दूसरा गेम शुरू हुआ।

इस बार भी, मैं हार गया और पिंकी खुश हो गई.!
¬¬ पिंकी – वाउ!! मज़ा आ गया… मैं फिर जीत गई… अब तुम को अपना शॉर्ट भी उतारना पड़ेगा…

मैं – लो, ले लो… मेरा शॉर्ट…

मैं पूरा नंगा हो के, सोफे पे बैठ गया।

मेरा 9 इंच का लण्ड, पिंकी को सलामी दे रहा था और पिंकी उसे भूखी नज़रों से घूर रही थी।

पिंकी – तुम चाहो तो, अपना लण्ड सहला सकते हो… टाइट खड़ा है, थोड़ा अनकंफर्टबल होगा… हिलने और सहलाने से आराम रहेगा…

मैं – ठीक है…

और मैं पिंकी के सामने, सोफे पे पूरा नंगा बैठा अपने लण्ड से खेलने लगा।

फिर पिंकी ने तीसरा हाथ बाँट दिया और तीसरा गेम शुरू हुआ।

इस बार, मेरा लक अच्छा था और मैं गेम जीत गया।

पिंकी – तो तुम इस बार जीत ही गये… तो बताओ, पहले क्या देखना चाहते हो… मेरे बूब्स या मेरी चूत… बोलो क्या उतारें, अपना ब्लाउज या पेटीकोट…

मैं – मुझे पहले तुम्हारे बूब्स देखने हैं… प्लीज़, अपना ब्लाउज उतारो ना…

पिंकी ने बिना देर किए, एक ही झटके में फटाफट अपना ब्लाउज उतार दिया और एक तरफ फेंक दिया।

उसके नंगे बूब्स देख कर, मैं और भी ज़्यादा उतेज्ज़ित हो गया और उसके बूब्स देखते हुए, अपना लण्ड पकड़ कर बहुत ज़ोर से मूठ मारने लगा।

पिंकी – अरे, ये क्या… इतने भी बेसबर मत बनो… अपने हाथ से ही सब कर लोगे क्या… चलो, आगे खेलते हैं…

मैं – उनमह: ठ ठा ठीक है…

पिंकी अब ताश ले कर, चौथा हाथ बाँटने लगी और चौथा गेम शुरू हुआ।

इस बार भी, मेरा हार्ड लक रहा और मैं गेम हार गया।

पिंकी – वाउ!! लो तुम फिर से हार गए और मेरे पूरे कपड़े भी अभी नहीं उतरे…

मैं – हाँ, माई हार्ड लक… पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा है…

पिंकी – सोच रही हूँ तुम को, क्या डेयर दूं…

मैं – कुछ भी दे दो…

पिंकी – मेरा डांस करने का, मन कर रहा है… तुम्हारा डेयर ये है की तुम अपने लण्ड से टेबल पर ड्रम बजाओ और मैं डांस करती हूँ…

और मैं तुरंत अपना लंबा लण्ड पकड़ कर, टेबल पर पटक पटक कर ड्रम की तरह बजाने लगा और पिंकी उठ कर अपने नंगे बूब्स उछाल उछाल कर नाचने लगी.!

थोड़ी देर बाद, पिंकी ने ताश का पाँचवा हाथ बनाया और पाँचवा गेम शुरू हुआ।

इस बार, मैं जीत गया.!

मैं – हुर्रे!! मैं जीत गया… तो फाइनली, अब मुझे तुम्हारी चूत के दर्शन होंगे…

पिंकी – ये लो, मेरा पेटीकोट… अब मैं भी तुम्हारी तरह, पूरी नंगी हो गई हूँ… लो, देख लो मेरी चूत… जी भर के देखो…

अब पिंकी ने ताश का छठा हाथ बनाया और छठा गेम शुरू हुआ।

इस बार, मैं फिर जीत गया.!

मैं – मैं जीत गया… बोलो, तुम को क्या डेयर दूं…

पिंकी – कुछ भी दे दो… मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ… पूरी नंगी तो हूँ ही… अब कुछ भी करवा लो…

मैं – हुम्म्म: सोच रहा हूँ क्या करूँ… क्या डेयर दूँ…

पिंकी – तुम भी पूरे नंगे हो और मैं भी पूरी नंगी हूँ… चाहो तो, अपना लण्ड मुझ से चूसवा लो… मुझे भी मज़ा आएगा…

मैं – हाँ, आ जाओ ना… चूस लो ना, मेरा लण्ड… ये कब से बेताब है… और पिंकी सोफे से उठी और मेरे सोफे के सामने, अपने घुटने पर बैठ कर मेरी कमर पकड़ कर मेरा लण्ड चूसने लगी।

थोड़ी देर चूसने के बाद, पिंकी ने लण्ड मुंह से निकाला.!

पिंकी – चलो ना, अब बेड पर चलते हैं… गेम बंद करो और मुझे बेड पर ले चलो… कब से मैं तुम्हारे लण्ड की भूखी हूँ… प्लीज़, मुझे अब बेड पे ले जा के चोद दो ना, आलोक…

मैं – मैं भी कब से, तुम को चोदना चाहता हूँ… चलो उठो… बेड पर चलते हैं…

मैंने पिंकी को उठाया और हम दोनों, बेड पर आ गए।

मैं पिंकी के बूब्स चूसने लगा और वो बेड पर मचलने लगी।

थोड़ी देर बाद, मैं उसकी चूत चाटने लगा।

पिंकी – उंहमहम: आअहह… आलोक, बहुत मज़ा आ रहा है… जीभ अंदर डाल के, लीक करो ना…

और मैं उसकी चूत के अंदर, जीभ फिराने लगा और वो और ज़ोर से बेड पर तड़पने लगी।

पिंकी – आअहह… मैं एक दम तैयार हूँ, अब और इंतेज़ार नहीं होता… प्लीज़, अब लण्ड डालो ना…

फिर, मैंने पिंकी को सीधा बेड पर लिटाया और उसके उपर चढ़ गया।

अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर, एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा दिया।

पिंकी के मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और मैं उसे धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करते हुए, चोदने लगा।

धीरे धीरे, मैं अपनी स्पीड बड़ा रहा था और साथ ही पिंकी की सिसकारियाँ भी तेज़ होती जा रही थी.!

पिंकी – आ आ अहह… आ आ आह… ओह… ऐसे ही, ज़ोर से… चोदो… मेरी ले लो… मैं रंडी हूँ… मेरी मार लो… आ आ हह… मस्त लण्ड है तेरा… कुतिया की तरह, चोद मुझे… आ आहह… फाड़ डाल, मेरी चूत… मैं झड़ रही हूँ… करते रहो… ऐसे ही… आ आ आ आ आ आ आ आ ह ह ह ह ह ह ह ह…

मैं – साली, रंडी… कुतिया… ले और ले… आह अहहा… और फिर हम दोनों ने एक साथ चरम आनंद का अनुभव किया और मैंने पिंकी की चूत के अंदर ही निकाल दिया।

चुदाई के बाद, पिंकी ने विस्की का थर्ड पेग बनाया और हम दोनों सोफे पर नंगे ही, आमने सामने बैठ कर, विस्की सीप करने लगे।

पिंकी – बहुत मज़ा आया, आज चुदाई में… मैं कब से, तुम्हारे लण्ड की भूखी थी… आज तुम्हारे लण्ड का मज़ा मिल ही गया… अब हम दोनों जब तक यहाँ हैं, रोज़ चुदाई करेंगें और खूब ऐश करेंगें… बड़ा मज़ा आएगा…

मैं – हाँ, सच में मज़ा आएगा… मैं भी कब से, तुम को चोदने के लिए तड़प रहा था… जब भी तुम को देखता था, लण्ड टाइट हो जाता था…

पिंकी – काश, मुझे कभी वरुण का लण्ड भी मिल जाए… मुझे उसका भी चाहिए और क्या मस्त बॉडी है, उसकी…

मैं – सुरभि भी, कोई कम नहीं है…

पिंकी – हाँ, सुरभि भी कोई कम रंडी नहीं है… उसकी आँखों में भी मैंने तुम्हारे और ब्रजेश के लण्ड के लिए, भूख देखी है… ब्रजेश और सुरभि, पिछले 2 हफ्ते घर पे अकेले थे… मुझे पूरा यकीन है की सुरभि ने ब्रजेश को सिड्यूस कर के, उसका लण्ड ले लिया होगा और अब मुस्कान भी वहाँ पहुँच चुकी है… ब्रजेश ने कई बार, मुझे चोदते हुए मुस्कान का नाम लिया है… ब्रजेश मुस्कान की भी चूत मारना चाहते हैं… हो सकता है, सुरभि उनकी मदद कर दे तो तीनों मिल के, खूब चुदाई कर रहे होंगे…

मैं – मुझे तुम तो मिल ही गई हो… मुस्कान, अगर पापा और वरुण से चुदती है तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं… पर, मुझे सुरभि की भी चाहिए… उसकी स्कर्ट में मोटी मोटी मस्त जांघें और बड़े बड़े बूब्स देख कर, मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है…

पिंकी – ठीक है, आगे जब भी मौका लगेगा, मैं तुम को सुरभि की दिलवाने की कोशिश करूँगी… पर तुम भी कोशिश करना की मुझे कभी वरुण के साथ अकेले रहने का मौका मिले… सिड्यूस तो, मैं उसे खुद ही कर लूँगी…

मैं – ठीक है… वादा रहा…

तो दोस्तो, जैसा की आप ने अब तक पढ़ा की कैसे सुरभि और पापा को घर पे अकेले रहने का मौका मिला और सुरभि ने पापा को सिड्यूस किया।

फिर, कैसे मैं ऊटी से अपना काम ख़तम कर के पिंकी के पास सिंगापुर पहुँचा और पिंकी ने कैसे मुझे सिड्यूस किया और हम ने बहुत चुदाई की.!

जैसा की आप जानते हैं के जब मैं ऊटी से सिंगापुर के लिए निकला, उसके एक दिन पहले मुस्कान ऊटी से घर आ गई थी क्यों की उन दिनों सिर्फ़ पापा ऑफीस जा रहे थे.! इसलिए, सुरभि फ्री थी और सुरभि मुस्कान को लेने एयरपोर्ट आ गई थी.!

सुरभि ने एयरपोर्ट से मुस्कान को लिया और दोनों घर के लिए निकले, गाड़ी में।

सुरभि – तो कैसा रहा, तेरा हनिमून आलोक के साथ… 2 हफ्ते, बहुत मज़ा किया होगा, तुम दोनों ने ऊटी में…

मुस्कान – अरे नहीं, हनिमून कहाँ यार… शादी के बाद में, ये मेरा और आलोक का चौथा विकेशन था… अब वो पहले हनिमून जैसी बात अब कहाँ रही… पर, हाँ विकेशन में मज़ा बहुत आया…

सुरभि – तो क्या तू आलोक के लण्ड से संतुष्ट नहीं है… ज़यादा चोदता नहीं क्या, तुझे वो…

मुस्कान – अरे!! नहीं नहीं… ऐसी बात नहीं है… आलोक, बहुत पक्का और असली मर्द है और उसका लण्ड भी लंबा और मोटा है… फाड़ के रख देता है, मेरी… विकेशन पे एक दिन में, कई कई बार ले लेता है… मेरा मतलब था की फर्स्ट हनिमून में जो नयापन का मज़ा था, वो अब नहीं बचा क्यों की वही सब कुछ हम कई बार कर चुके हैं…

सुरभि – तो तू पटा ले ना, किसी को… आलोक के लण्ड के मज़े के साथ साथ, तुझे नयापन भी मिल जायगा…

मुस्कान – हाँ यार!! ऐसा ही कुछ सोच रही हूँ… देखती हूँ… कुछ ना कुछ तो करूँगी…

सुरभि – मेरे पास एक आइडिया है…

मुस्कान – बता…

सुरभि – मुझे भी आलोक पसंद है… तू मेरे लिए, मुझे तेरे पति आलोक को पाटने में मेरी मदद कर दियो और तू मेरे पति वरुण को पटा ले… मैं तेरी मदद कर दूँगी…

                                                 


मुस्कान – वाउ!! एक्सचेंज ऑफर… हाहहाहा… तुम सीरीयस हो… कहीं तू मज़ाक तो नहीं कर रही…

सुरभि – अरे, नहीं यार… मेरा भी हाल, कुछ तेरी तरह ही है… कुछ नयापन हो लाइफ में, तो मज़ा आ जायगा…

मुस्कान – चल, बाद में सोचते हैं इस बारे में… अभी आज कल तो वरुण मॉरिशस में है और आलोक सिंगापुर में और यहाँ पर तो सिर्फ़ ससुर जी ही हैं।

दोनों घर पहुँचते हैं और अपने अपने रूम में, चले जाते हैं।

मुस्कान नहा के फ्रेश हो जाती है और सो जाती है।

सुरभि भी अपने रूम में, रेस्ट करने लगती है।

शाम को, पापा ऑफीस से घर आते हैं।

सुरभि, दरवाज़ा खोलती है।

पापा अंदर आते ही, सुरभि को पकड़ कर किस करने लगते हैं, तो सुरभि उनको दूर हटाते हुए बोलती है की अभी नहीं… मुस्कान घर पर है… 8 बजे, डिन्नर पर मिलते हैं… फिर रात में, मुस्कान के सोने के बाद… मैं आप के कमरे में आ जाउंगी…

रात 8 बजे, सुरभि पापा और मुस्कान तीनों डिन्नर टेबल पर थे।

सुरभि ने काली स्कर्ट और काला टॉप पहना था।

टॉप में से उसकी क्लीवेज मस्त लग रही थी, जो किसी को भी पागल बना दे।

मुस्कान ने अपने सिग्नेचर स्टाइल में, पर्पल कलर की सादी और पारदर्शी साड़ी, मिलते रंग के बिकनी ब्लाउज के साथ पहनी थी।

Post a Comment

0 Comments