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Vidhava aantee kee barason kee pyaas mitaee

मेरी पड़ोसन आंटी के साथ उनकी उस मस्त मजेदार चुदाई की कहानी सुनाता हूँ जिसमें मैंने उनको चोदकर पूरी तरह से संतुष्ट किया और वो मेरी चुदाई से बहुत खुश थी। दोस्तों यह आज से करीब तीन महीने पहले की बात है तब रिमझिम बारिश का महीना चल रहा था और मेरे पास वाले एक मकान में एक विधवा आंटी और उसकी 9 साल की बेटी किराए पर रहने आई थी. 


Majedar Chudai Kahani

वो आंटी दिखने में बहुत ही सुंदर थी और उस आंटी का नाम गीता था। वो आंटी 45 साल की थी और आंटी के बूब्स का आकार 40-36-40 था, गीता आंटी के साथ मेरी कुछ ही दिनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी और वो आंटी कभी कभी मेरे घर पर कुछ ना कुछ लेने आ जाती थी और में भी जानबूझ कर आंटी के घर कुछ ना कुछ लेने चला जाता था।

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दोस्तों आंटी की बेटी हर दिन सुबह जल्दी स्कूल चली जाती और वो उसके बाद करीब दोपहर के समय दो बज़े आकर वो खाना खाने के बाद तुरंत अपनी ट्यूशन क्लास में चली जाती और उसके बाद वो शाम को वापस आती थी।  दोस्तों यह उस दिन की बात है जब आंटी की बेटी चार दिनों के लिए अपनी नानी माँ के घर चली गयी थी.

और उसके जाने के बाद अब घर पर आंटी बिल्कुल अकेली थी और मेरे घर के भी सभी लोग दो तीन दिनों के लिए हमेरी गाँव चले गये थे, इसलिए में भी अपने घर पर अकेला था और में उस समय अपने घर पर सफाई कर रहा था कि तभी में अचानक से नीचे गिर गया और मेरे पैरों के बीच में मोच आ गयी, में दर्द की वजह से एक कोने में वैसे ही चुपचाप बैठ गया।

तभी आंटी ने घर में आकर आवाज़ लगाई कि ओम तुम कहाँ हो? मैंने आंटी को बोला कि में इस समय रसोई में हूँ। अब आंटी मेरी आवाज को सुनकर उसी समय रसोई में आ गई और मुझे उस हालत में देखकर वो मुझसे पूछने लगी कि क्या हुआ?

तब मैंने कहा कि आंटी साफ सफाई करते समय मेरा पैर फिसल गया और मुझे उसकी वजह से मोच आ गयी है जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हो रहा है। फिर आंटी मेरी बात को सुनकर उसी समय भागकर अपने घर चली गयी और वो दर्द खत्म करने का एक तेल अपने साथ ले आई.

और फिर मेरे पास आकर वो मुझसे बोली कि ओम चलो में तुम्हे इस तेल से मालिश कर देती हूँ और इसकी वजह से तुम्हे जल्दी ही इस दर्द से आराम हो जायगा। फिर मैंने आंटी को कहा कि में इस दर्द की वजह से अब इस जगह से उठ भी नहीं सकता, इसलिए आपको ही मुझे सहारा देकर मेरे कमरे तक ले चलना होगा।

तो आंटी ने कहा कि हाँ ठीक है चलो तुम भी थोड़ी सी कोशिश करो और में तुम्हे सहारा देती हूँ और अब वो मेरे बिल्कुल पास आकर मुझसे सट गई और मुझे उन्होंने अपनी बाहों का सहारा देकर खड़ा किया। आंटी जी की बाहों के उस मुलायम अहसास से मुझे कुछ अजीब सा महसूस होकर मेरे पूरे शरीर में कुछ कुछ हो रहा था, आंटी ने मुझे बेडरूम में लाकर बेड पर लेटा दिया।

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अब आंटी ने मुझसे पूछा कि अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हे कहाँ चोट लगी है? तब आंटी से मैंने कहा कि आंटी जी मुझे मोच मेरे दोनों पैरों के बीच कूल्हों पर लगी है और इतना सुनकर उसी समय आंटी ने मुझसे कहा कि चलो अब तुम जल्दी से अपनी पेंट को उतार दो में इस तेल को गरम करके तुम्हारे कूल्हों पर इसकी मालिश कर देती हूँ।

अब मैंने आंटी से कहा कि नहीं आप रहने दीजिए में खुद ही कर लूँगा, मुझे आपके सामने अपनी पेंट उतारने में शरम आती है। फिर आंटी ने कहा कि ओम तुम मुझे अपना एक दोस्त मानते हो ना, मैंने कहा कि हाँ वो तो में आपको मानता हूँ।

फिर आंटी ने कहा कि फिर दोस्त से कैसी शरम चलो अब तुम फटाफट अपनी पेंट को उतारो और इतना कहकर आंटी ने मेरी पेंट का हुक खोल दिया और उन्होंने झट से मेरी पेंट को उतार दिया और अब मुझे बहुत शरम आ रही थी। अब आंटी ने हंसते हुए मुझसे कहा कि ओम तुम तो एक लड़की की तरह शरमा रहे हो.

में उस केवल अंडरवियर में उनके सामने था तो उसी समय तुरंत जाकर आंटी तेल गरम करके ले आई और उन्होंने आते ही मुझसे कहा कि चलो अब तुम जल्दी से उल्टे हो जाओ और में उनके कहने पर अब उल्टा हो गया। आंटी ने धीरे धीरे मेरे कूल्हों पर अपने नरम मुलायम हाथों से मसाज करना शुरू किया और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

                           

आंटी ने उसी समय अपने शरारती अंदाज में मुझसे पूछ लिया कि क्यों ओम तुम्हे मज़ा आ रहा है ना? तब मैंने उनको कहा कि हाँ मुझे अब बहुत आराम आ रहा है उस समय आंटी जी अपने एक हाथ को मेरे पूरे शरीर पर घुमा रही थी और में समझ गया कि आंटी को मेरे कूल्हों पर मालिश करने में बहुत मज़ा आ रहा है।

मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो चुका था और में जोश में आकर अब मन ही मन में सोचने लगा था कि में अपनी आंटी को उसी समय ज़ोर से पकड़कर उनके होंठो पर किस कर दूँ, लेकिन में क्या करूं? में इतनी हिम्मत जुटा नहीं पा रहा था?

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आंटी जी ने पूरे तेल से मालिश कर दी और कहा कि चल ओम में अब जाती हूँ और तुम्हारे लिए में शाम को खाना लेकर आ जाउंगी और शाम को में आकर एक बार और तुम्हे मालिश कर दूँगी और उससे तुम्हे ज्यादा आराम आ जाएगा और फिर आंटी मुझसे इतना कहकर चली गयी और शाम को करीब 8.00 बज़े आंटी मेरी लिए खाना बनाकर ले आई थी।

आंटी ने उस समय काले रंग की जालीदार साड़ी पहनी हुई थी। फिर मैंने आंटी से कहा कि आज आप बहुत सेक्सी लग रही हो, आंटी ने मुस्कुराकर कहा कि चल हट नटखट कहीं का और आंटी ने मेरी लिए और अपने लिए खाना निकाल लिया और खाना निकालते समय उनकी साड़ी का पल्लू बार बार नीचे सरक रहा था।

पल्लू नीचे गिरते ही उनके बूब्स के बीच की गलियाँ मुझे नजर आ रही थी। वाह क्या मस्त नजारा था और उसको देखकर मेरा मन कर रहा था कि में उसी समय झट से उनके बूब्स को दबा लूँ और में जब उनके बूब्स को देख रहा था, तभी आंटी ने मुझे देख लिया और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम ऐसे घूर घूरकर क्या देख रहे हो ओम?

तब मैंने घबराकर कहा कि कुछ नहीं आंटी जी और फिर हम दोनों ने साथ में बैठकर खाना खा लिया और उसके बाद आंटी ने मुझसे कहा कि अब में जाती हूँ और सुबह में वापस आ जाउंगी। फिर मैंने आंटी से कहा कि आप आज मत जाइए प्लीज आज आप यहीं पर सो जाइए, मुझे रात को कोई भी चीज की ज़रूरत पड़ेगी तो में क्या करूंगा?

तब आंटी ने कहा कि हाँ ठीक है, अगर तुम कहते हो तो में यहीं पर सो जाती हूँ और अब आंटी ने मुझसे पूछा कि में कहाँ सोऊँगी? तब मैंने उनसे कहा कि आप मेरे ही बेडरूम में सो जाना। आंटी ने कहा कि फिर तुम कहाँ सोओगे? मैंने कहाँ कि वहीं पर बेडरूम में, आंटी ने कहा कि वहां तो बस एक सिंगल बेड ही है ना.

मैंने कहा कि आंटी जी उस पर दो जने आराम से ही सो सकते है, मेरी बात पर आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा कि अच्छा ओम ठीक है और फिर मुझे आंटी बेडरूम में ले गयी और उसके बाद बेडरूम में जाते ही आंटी ने अपनी साड़ी को उतार दिया और अब उसके बाद वो उस समय ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे पास में आकर लेट गयी।

अब मैंने देखा कि आंटी के उभरते हुए बूब्स उनके ब्लाउज से बाहर निकलने के लिए तड़पने लगे थे, जिनको देखकर में बहुत चकित हो गया था और आज मैंने मन ही मन में सोच ही लिया था कि कैसे भी करके में आंटी की चुदाई किए बिना उनको नहीं छोड़ सकता और आंटी के वो गोरे मस्त बड़े आकार के उभरे हुए बूब्स को बार बार देखकर अब मुझसे बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था।

अब मैंने उनसे पूछा कि आंटी जी, अंकल की म्रत्यु के बाद आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की? तो आंटी ने हंसते हुए मुझसे कहा कि मुझे अब तक तुम्हारे जैसा प्यारा और जवान कोई मिला ही नहीं। अब मैंने आंटी से कहा कि क्यों आप मुझसे यह सब मज़ाक कर रही हो? तब आंटी ने कहा कि नहीं में तुमसे एकदम सच कह रही हूँ.

                                 

और उसी समय आंटी ने मुझसे कहा कि तुम मुझे आंटी जी कहकर मत बुलाओ, तुम मुझे मेरे नाम से गीता कहकर बुलाओ, क्यों समझ गए? तो मैंने कहा कि हाँ ठीक है गीता जी, तब आंटी ने कहा कि केवल गीता कहो गीता जी नहीं ठीक है। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है गीता और अब गीता ने मुझसे कहा कि चलो अब तुम अपनी पेंट को उतारो में तुम्हारी मालिश कर देती हूँ।

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है और इतना कहते ही गीता आंटी ने मेरी पेंट को उतार दिया और उन्होंने तेल से मेरी मालिश करना चालू कर दिया। उस समय मुझे आंटी कुछ ज्यादा ही मूड में लग रही थी, क्योंकि वो अब बार बार मेरी अंडरवियर में बहुत आगे तक अपने हाथ को डाल रही थी.

और तभी में समझ गया कि आंटी भी अब अपनी चुदाई के पूरे मूड में है और में उनसे अच्छे से मालिश करवाता रहा। आंटी ने अब मुझसे कहा कि तुम अब अपनी इस अंडरवियर को भी उतार दो और में तुम्हारी अच्छी तरह मालिश कर देती हूँ और उनके मुहं से इतना सुनते ही मैंने अपनी अंडरवियर को निकाल दिया।

अब आंटी मेरे पूरे कूल्हों से लेकर नीचे तक मालिश करने लगी और उनके हाथ अब नीचे मेरे आंड को छू रहे थे, जिसकी वजह से मेरा लंड अब तनकर खड़ा हो चुका था और तभी अचानक आंटी ने मुझे सीधा कर दिया और वो बोली कि यह क्या है? तब मैंने उनको कहा कि यह लंड है और उसी समय आंटी ने कहा कि वो तो मुझे भी पता है, लेकिन यह खड़ा कैसे हो गया?

तो मैंने कहा कि यह आपका हाथ लगते ही खड़ा हो गया, क्या बक रहे हो आंटी ने कहा? मैंने कहा कि हाँ में एकदम सही कह रहा हूँ आंटी। फिर आंटी ने कहा कि में अब सोने जाती हूँ और आंटी खड़ी होकर साड़ी पहनने लगी। अब में खड़ा हो गया और आंटी को पकड़कर किस करने लगा।

                                     

फिर आंटी ने मुझसे कहा कि तुम यह क्या कर रहे हो ओम? तब मैंने कहा कि में आपको प्यार कर रहा हूँ और आज में आपको चोदे बिना नहीं छोडूंगा उसके बाद आंटी ने मुझसे छूटने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरे सामने आंटी की एक ना चली और मैंने आंटी को किस करना चालू कर दिया और मैंने उनको अपनी बाहों में लेकर उनके होंठो को अपने होंठो में दबा लिया।

अब आंटी ने कुछ देर विरोध करने के बाद अपना शरीर मेरे हवाले कर दिया और वो भी अब मेरा साथ देने लगी थी। मैंने उसी समय आंटी का ब्लाउज और पेटीकोट को भी उतार दिया और अब उस वजह से आंटी केवल मेरे सामने ब्रा और पेंटी में थी। मैंने उन्हें बेड पर लेटा दिया और उनकी ब्रा को खोल दिया।

फिर में बिल्कुल चकित रह गया वाह बाप रे क्या मस्त बूब्स थे आंटी के उनको देखकर मेरी आखें फटी की फटी रह गई, वो कितने कड़क और तने हुए थे मुझे वो बूब्स उनके खड़े निप्पल को चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। अब में उनके बूब्स को अपने होंठो से चूस रहा था और आंटी के मुहं से अहह्ह्ह्हह उफफ्फ्फ्फ़ आईईईइ की आवाज़ निकल रही थी।

                                   

अब आंटी मेरे वश में थी और आंटी को बहुत मज़ा आ रहा था। फिर कुछ देर बाद आंटी ने खुद ही अपनी पेंटी को उतार दिया और उन्होंने मुझसे कहा कि डार्लिंग प्लीज तुम इसको चाटना शुरू करो। अब आंटी के मुहं से इतनी बात सुनते ही में उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।

उनकी चूत बहुत रसीली थी और मुझे चूत को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। में करीब 15 मिनट तक उनकी चूत को चाटता रहा और उसके बाद मैंने अब उठकर मेरे लंड को आंटी के मुहं में डाल दिया आंटी उसको बड़े मज़े से चाट और चूस रही थी।

आंटी ने करीब बीस मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि अब डाल दो ना प्लीज ओम, अब चल जल्दी से तू तेरे लंड को मेरी चूत में डाल दे, मुझे बहुत खुजली हो रही है, चल अब इसको अंदर डाल दे ज़ल्दी कर।

                             

फिर उनके मुहं से इतना सुनते ही मैंने जोश में आकर अपना पूरा लंड एक जोरदार धक्के के साथ आंटी की चूत के अंदर डाल दिया और उसके बाद में उनको अपनी तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा था। इस काम में हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि अब आंटी भी नीचे से अपने कूल्हों को उछाल उछालकर मुझे साथ दे रही थी और मैंने आंटी को कसकर पकड़ा और मेरे हाथ उनके हाथ के बीच में दबा दिया और में उनकी जीभ को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा। मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था, क्योंकि में एक आंटी को पहली बार अपने लंड से धक्के देकर चोद रहा था।

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था। अब आंटी के मुहं से अहह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह स्सीईईईइ की सेक्सी आवाज़े भी निकल रही थी और में अपनी गति को बढ़ाकर तेज तेज धक्के देकर उनको चोदने लगा था। अब आंटी जोश में आकर मुझसे कह रही थी हाँ उफ्फ्फफ्फ्फ़ और ज़ोर से ओम डार्लिंग मुझे चोदो आह्ह्हह्ह आज तुम ऐसे ही जोरदार धक्के देकर अपनी इस आंटी की चूत का पूरा रस बाहर निकाल दो, करो ओह्ह्ह्हह्ह अहह्ह्ह्हह और ज़ोर से ओह्ह्ह।

                                     

अब में उनको अपनी पूरी ताक़त लगाकर धक्के देकर चोद रहा था, क्योंकि उस समय हम दोनों बहुत जोश में थे और उसी समय आंटी ने मुझसे कहा कि ओम डार्लिंग हाँ थोड़ा और ज़ोर से धक्के लगाओ, में अब झड़ने वाली हूँ। फिर मैंने उनसे कहा कि हाँ में भी अब झड़ने वाला हूँ गीता डार्लिंग और फिर हम दोनों उसके बाद एक ही साथ में झड़ गये।

उसके बाद भी में करीब 15 मिनट तक आंटी के ऊपर ही लेटा रहा और में उनके होंठो को चूसता रहा, तब उन्होंने मुझसे कहा कि आज तुमने मुझे चोदकर मेरी बहुत पुरानी भूख को शांत किया है और में बहुत समय से इस मस्त चुदाई के मज़े लेने को तरस रही थी, तुमने आज मेरी आग को शांत कर दिया है तुम बहुत अच्छे हो और बहुत अच्छी मस्त दमदार चुदाई भी तुम करते हो, मुझे तुम्हारे साथ यह सब करके मज़ा आ गया और फिर उसके बाद हम दोनों तीन दिन तक लगातार हर रोज़ बहुत जमकर चुदाई का खेल खेलते रहे.

                                 

और मैंने उनको सुबह शाम जब भी मेरी इच्छा हुई जमकर चोदा और वो मुझसे अपनी चूत की चुदाई करवाकर मेरे साथ मज़े करती रही। दोस्तों अब मुझे कभी भी आंटी को चोदने का मन करता तो में उनके घर पर जाकर उनको जमकर चोद लेता हूँ और आंटी की भूख को भी में शांत कर देता हूँ। उस चुदाई में हमेशा वो मेरा पूरा पूरा साथ देकर मेरे साथ मज़े लेती है। उसके बाद आंटी कभी कभी मुझे बाहर होटल में ले जाकर वहां पर भी वो मुझसे तरह तरह से चुदी और उनकी चुदाई करने में मुझे बहुत मज़ा आता है।

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